Abhi saab

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कॉलेज का पहला दिन

श्वेता, रंजना को खिड़की के पास खड़ा देख हैरानी के भाव से उससे पूछती है “माँ-सा! हम यहाँ क्या कर रहे हैं? हम यहाँ कब...” कह श्वेता चुप हो जाती है। श्वेता के चेहरे पर बेचैनी देख रंजना अपने डर को छिपा लेती है और खुद को सामान्य करते हुए कहती है “बेटा आप यहाँ ये वास गिरने पर डायनिंग से उठकर आ गई थी..”

“लेकिन माँ-सा हमें कुछ याद क्यों नहीं आ रहा।” श्वेता खोई-खोई सी रंजना से कहती है। “वो इसीलिए बेटा कि आपको डायनिंग पर सबका इंतजार कर बैठे-बैठे ही झपकी आ गई थी और वास की आवाज़ से आप नींद में ही उठती चली आई तो बस इसीलिए... आप ज्यादा न सोचो! चल कर किचन में मुँह धुल लो और डिनर कर फिर आराम से रेस्ट कर लो। ठीक है..?”

“जी माँ-सा!” कह श्वेता रसोई में जा हाथ मुँह धुल कर डायनिंग पर आ जाती है और डिनर फिनिश कर अपने कमरे में चली जाती है। वहीं रंजना इतनी सारी घटनाओं को देख अगले दिन गुरुदेव के आश्रम में जाने का निर्णय लेती है ...

रात्रि ठीक से व्यतीत हो जाती है। अगले दिन श्वेता को कॉलेज जाना होता है। वो नियत समय पर जागती है और तैयार होकर रंजना से कह कॉलेज के लिए निकल जाती है।

कॉलेज में ...

श्वेता कॉलेज के मेन गेट पर खड़ी होती है कंधे पर स्लिंग बैग,एक हाथ में एक नोट बुक पकड़े है और दूसरे हाथ से दरवाजा खोल कॉलेज में एंट्री करती है। मिड जुलाई का महीना है जिस कारण बादलों कि अठखेलियां चलती रहती है।

राजस्थानी लिबास के साथ पैरों में मोजडी उस पर एंक्ले का संगम बहुत फब रहा है उस पर। श्वेता मुस्कुराते हुए आगे बढ़ती है जहाँ वो देखती है एक तरफ सीनियर छात्र नए आने वाले छात्रों को परेशान कर रहे होते है। वहीं दूसरी तरफ कॉलेज का गार्डन होता है जिसमें जगह-जगह झुंड बना कर छात्र हंसते मुस्कुराते हुए एक-दूसरे से इंट्रोडक्शन कर रहे है।

श्वेता सबको इग्नोर कर आगे बढ़ती है जहाँ कुछ सीनियर उसे छुप कर निकलता देख उसके आगे उसका रास्ता रोक कर खड़े हो जाते हैं।

श्वेता आगे सीनियर को देख अपने कदम वहीं रोक लेती है। और खड़े होकर नज़रे उठा कर उनकी तरफ देखने लगती है।

“क्या बात है? आप लोग हमारे आगे क्यों खड़े हो गए! ये क्या हरकत है आप लोगों की” थोड़े से गुस्से में श्वेता उनसे कहती है।

श्वेता की बात सुन उनमें से एक बंदा मुस्कुराते हुए कहता है “तुम यूँ हम सब से छिपते छिपाते कहाँ जा रही थी? आज कॉलेज का पहला दिन है और बिन हमारी परमिशन के कोई अंदर नहीं जा सकता।“

“क्यों! आप इस कॉलेज के प्रिंसिपल है या कोई ट्रस्टी है! जो आपका ऑर्डर चलेगा?”

“ए लड़की! हम लोग तुम्हारे सीनियर है और ये हम लोगों का राइट है जूनियर की रैगिंग करना!”

लड़के की बात सुन श्वेता मुस्कुराते हुए कहती है “ओह रियली? आप सीनियर का राइट है रैगिंग करना? तो कहीं और जाकर इस राइट का प्रयोग कीजिए! श्वेता चौहान पर नहीं। वरना हम एक-एक को नानी याद दिला देंगे, समझे कि नहीं? जाओ भागो यहाँ से!” श्वेता अंगुली के इशारे से उन्हें जाने को कहती है। श्वेता की बात सुन सभी ठहाका मार कर हंसने लगते है।

बंदा गुस्से में बोला, “ओह रियली। बडी हिम्मत है तुममें। सीनियर से जुबान लड़ा रही हो। अब तुम चुपचाप से चलो उधर और शुरू हो जाओ! तुम्हे कुछ सुनाना होगा! ये हमारा ऑर्डर है समझी कि नहीं?“

उन लोगों की बातें ख़तम भी नहीं हो पाती तब तक मौसम का मिजाज बदलने लगता है। तेज हवाएं चलनी शुरू हो जाती हैं। आसमान में चारो ओर काले बादल घिर आए है। हवाओं के ज़ोर से चारो और धूल मिट्टी उड़ने लगती है।

उन लोगों की बात सुन श्वेता की आँखें गुस्से से लाल होने लगती है और कहती है “अच्छा! ये बात है हम भी देखे किसकी हिम्मत है जो हमारी बिन मर्ज़ी के हमसे कोई कार्य करा ले।“ श्वेता गुस्से में खड़ी होती है। हवा से उसके सिर के छोटे-छोटे बाल चोटी से निकल उड़ने लगते है।

कॉलेज के छात्र श्वेता को देख डरने का अभिनय करते हुए कहते है “हम लोग तो तुम्हारा ये रूप देखकर डर गए "मिस श्वेता चौहान!” कहते हुए अपने दोनों हाथ जोड़ कर चेहरे के आगे कर लेते है और कांपने लगते है। कुछ घड़ी ऐसे ही रहने के बाद वहाँ सभी बन्दे हंसने लगते है।“है है हाहा हा हा ... बस हो गया तुम्हारा तो शुरू हो जाओ... चलो तुम्हारे लिए इतनी छूट है कि तुम यहीं खड़े होकर अपना टास्क पूरा कर सकती हो..”

श्वेता कुछ सोचते हुए बोली, “तो आप लोग नहीं मानोगे!” और अपने बैग में कुछ ढूंढने लगती है और ढूंढ कर बैग में ही हाथ रख कहती है, “ठीक है मत मानो हम तो चले यहाँ से!” कहते हुए श्वेता आगे बढ़ जाती है। और बैग में से हाथ निकाल चुपके से जमीन पर कोई पदार्थ डाल देती है। श्वेता के मूड स्विंग को देख वहाँ मौजूद सभी व्यक्ति हैरान हो जाते है। सीनियर उसके इस तरह जाने को अपना अपमान समझते हैं एवम् दोबारा उसके आगे खड़े होने की कोशिश करते हैं। लेकिन एक कदम बढ़ाने के बाद दूसरे कदम के लिए वहाँ से हिल भी नहीं पाते। ऐसा लग रहा जैसे उनके पैरों के नीचे गोंद पड़ा हो और वो सभी उससे चिपक कर खड़े हो गए हो। श्वेता पीछे पलटती है और मुस्कुराते हुए अपने हाथ में पकड़ा गम का डिब्बा दिखाते हुए बाय कहती है और वहाँ से चली जाती है।

सीनियर श्वेता के दिमाग को देख हैरान होते हैं। कुछ सेकंड बाद सभी गम से बाहर निकलते है और श्वेता को सबक सिखाने का सोचने लगते हैं। वहीं श्वेता चलते हुए अपने ही द्वारा कि हुए इस हरकत के बारे में सोचने लगती है। ‘न जाने कैसे हमारे दिमाग में ये ख्याल आया। और तो और साधारण गम से कोई इतनी बुरी तरह कैसे चिपक सकता है। क्या हुआ था क्या था वो सब। बहुत अजीब-अजीब चीज़े होने लगी है हमारे साथ! ‘ श्वेता वहाँ से जाकर सीधा एक बेंच पर जाकर बैठती है और खुद से ही बड़बड़ाने लगती है।

“हाय! ब्रेव गर्ल! आय एम राजकुमार दत्त।“ एक लड़का श्वेता की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहता है। श्वेता जिसका मूड पहले से ही उखड़ा हुआ होता है उस लड़के को जवाब देती है, “आप राजकुमार दत्त हैं...?”

“हाँ।“

“अच्छी बात है तो इसमें बताने की क्या खूबी है कि आप राजकुमार दत्त है। किसी रियासत के राजकुमार हैं क्या आप?”

श्वेता की बात सुन लड़के का मुँह लटक जाता है और कहता है “राजकुमार तो नहीं हूँ बस मेरा नाम है राजकुमार दत्त और आपकी बहादुरी देखी तो आपसे मित्रता करने का विचार आया तो इसीलिए गुस्ताखी कर दी! !”

राजकुमार के चेहरे के भावों को देख श्वेता हंसने लगती है। उसका गुस्सा छूमंतर हो जाता है। वो राजकुमार से कहती है “आय एम सॉरी! वो बस ऐसे ही। आप उदास मत होइए। हमें आपका मित्रता का प्रस्ताव स्वीकार है। वैसे भी आज हमारा कॉलेज में पहला दिन है। और पहले दिन हमारी मित्रता एक राजकुमार से हुई... क्या बात है..”

“सिर्फ राजकुमार से ही नहीं मिस श्वेता चौहान! राजकुमार की दोस्त सुहानी से भी। वो एक के साथ एक फ्री ऑफर सुना है न तुमने। वहीं ऑफर लागू है यहाँ।“ कहते हुए सुहानी हंस कर श्वेता के सामने खड़ी हो जाती है...

“वैसे तुम सच में बहादुर हो जो इन सीनियर्स के सामने खड़ी रही। और बिन रैगिंग के उन्हें अच्छा खासा सबक सिखा दिया।“ सुहानी श्वेता के पास बैठते हुए कहती है।

“नहीं सुहानी। ये कोई तरीका तो है नहीं जूनियर के साथ व्यवहार करने का। खैर जो होना था वो हो गया अब हम लोग लेक्चर रूम में चलते हैं।“

“हाँ बिल्कुल। पहला दिन है तो देखना तो बनता है कौन कौन से प्रोफेसर है जो हमें पढ़ाएंगे।“ कहते हुए तीनों लेक्चर रूम में पहुँचते है।

“यार आज पहला दिन है और मुझे लग रहा है आज सिर्फ इंट्रो ही होगा। चलो आज बाहर ही बैठ कर मस्ती करते हैं।” सुहानी श्वेता की तरफ देखते हुए कहती है।

“ठीक है चलो। लेकिन हमारा मन तो यहीं बैठ सबके बारे में जानने का था। पता तो चलता कौन से लेक्चरर हमें पढ़ा रहे हैं और किस तरह के छात्रों और साथ हमें पढ़ना है?”

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3 Comments

Varsha_Upadhyay

30-Sep-2023 10:19 PM

Nice one

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HARSHADA GOSAVI

30-Sep-2023 07:05 AM

लाजवाब

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Gunjan Kamal

28-Sep-2023 08:10 AM

शानदार भाग

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